शिवरात्रि कैसे मनाई जाती है
हिंदू कैलेंडर के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक, महाशिवरात्रि को शिव और शक्ति के संयोग का उत्सव माना गया है। इस साल महा शिवरात्रि 21 फरवरी को मनाई जाएगी, जो शुक्रवार है।
जैसा कि नाम से पता चलता है, यह दिन भगवान शिव के सम्मान में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान शिव की माँ पार्वती के साथ विवाह का जश्न मनाता है। वैसे तो हिंदू कैलेंडर के हर मास में शिवरात्रि होती है, लेकिन महाशिवरात्रि, साल में एक बार होती है, और यह सर्दी फरवरी / मार्च में आती है।
इस दिन, भक्त सुबह जल्दी उठते हैं और पूरे दिन का कठोर उपवास करते हैं। वे प्रार्थना और मंत्रों का जाप करते हैं। शिव मंदिरों में, पूरे दिन ओम नमः शिवाय के पवित्र मंत्र का जाप किया जाता है।
सुबह भगवान शिव की पूजा करते समय, लोग दूध, पानी और धतूरा, बिल्व पत्र और फलों सहित कई अन्य वस्तुओं को चढ़ाते हैं। महा शिवरात्रि के दौरान, भगवान शिव की पूजा धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कैसे की जाती है, इसका विवरण इस प्रकार है:
- ऐसी मान्यता है कि महा शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए। यदि संभव हो तो गंगा में स्नान करना चाहिए।
- महाशिवरात्रि का व्रत बहुत कठिन होता है और उपवास के दौरान भक्तों को किसी भी रूप में भोजन करने से बचना चाहिए। हालांकि कई भक्त दिन के समय फल और लेते हैं, तो कई लोग पूरे दिन पानी भी नहीं पीते हैं।
- शिव लिंग पूजा के लिए मंदिर जाने से पहले शाम को फिर से स्नान करना चाहिए। जो लोग किसी कारण से मंदिर नहीं जा सकते, वे घर पर मिट्टी का शिव लिंग बनाकर उसकी पूजा कर सकते हैं। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार पूजा को गुलाब जल, दही, घी, दूध, शहद, चीनी, पानी और चंदन जैसी विभिन्न सामग्रियों के साथ किया जाना चाहिए।
- पूजा पूरे दिन में एक या चार बार की जा सकती है। चार प्रहर पूजा करने वाले लोगों को प्रथम प्रहर के दौरान अभिषेक पानी से करना चाहिए, दूसरे प्रहर दही से, तीसरे प्रहर घी से और चौथे प्रहार शहद से अभिषेक करना चाहिए। अभिषेक करने के बाद, शिव लिंग को बिल्व के पत्तों की माला से सुशोभित करना चाहिए।
- बिल्व माला का श्रंगार करने के बाद कुमकुम और चंदन लगाया जाता है और धुप की बत्ती चढ़ाई जाती है। फिर मदार फूल, भस्म जैसी अन्य वस्तुएं शिव लिंग को अर्पित की जाती हैं।
- पूजा में “ओम नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। शिवरात्रि के अगले दिन ही व्रत तोड़ा जाना चाहिए क्योंकि चतुर्दशी तिथि समाप्त होने से पहले स्नान किया जाता है और इस तरह व्रत का सबसे अधिक लाभ प्रदान करता है।
- यह भी माना जाता है कि महाशिवरात्रि से एक दिन पहले केवल एक ही वक़्त भोजन किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जब आप उपवास पर हों तो शरीर के अंदर किसी भी अवांछित भोजन का कोई अंश न हो।